कर्नाटक में कर्नाटक एसोसिएशन ऑफ मैनेजमेंट्स ऑफ इंग्लिश मीडियम स्कूल्स (KAMS) ने सरकार से SSLC (सेकेंडरी स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट) परीक्षा के पासिंग मार्क्स को 35% से घटाकर 33% करने की मांग की है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य छात्रों पर परीक्षा का दबाव कम करना और पास प्रतिशत को बढ़ाना है। हालांकि, इस बदलाव से शैक्षणिक मानकों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंताएं भी जताई जा रही हैं।
What is KAMS’s proposal?
वर्तमान में, SSLC परीक्षा में पास होने के लिए छात्रों को न्यूनतम 35% अंक प्राप्त करने होते हैं। लेकिन KAMS का मानना है कि इसे घटाकर 33% करने से:
- छात्रों का मानसिक तनाव कम होगा।
- पास प्रतिशत बढ़ेगा।
- कर्नाटक के शैक्षणिक मानदंड अन्य राज्यों के अनुरूप हो जाएंगे।
KAMS के महासचिव डी. शशिकुमार ने कहा, “देश के कई राज्यों में 33% पासिंग मार्क्स का नियम है। कर्नाटक में भी इसे लागू करना चाहिए ताकि छात्रों को समान अवसर मिल सके।”
SSLC Exam: Importance and Current Status:
SSLC परीक्षा कर्नाटक में छात्रों के करियर की दिशा तय करने वाली सबसे महत्वपूर्ण परीक्षाओं में से एक है। यह उच्चतर माध्यमिक शिक्षा और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए अनिवार्य है।
History of Passing Marks:
- 2023 से पहले: पासिंग मार्क्स 35% था।
- 2023-24: कोविड-19 महामारी के चलते इसे अस्थायी रूप से घटाकर 25% कर दिया गया था।
- 2024-25: इसे फिर से 35% कर दिया गया।
KAMS का दावा है कि 33% का प्रस्ताव छात्रों और शिक्षकों के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक सही कदम होगा।
Comparison with other states:
राज्य | पासिंग मार्क्स (%) |
कर्नाटक (वर्तमान) | 35% |
कर्नाटक (प्रस्तावित) | 33% |
महाराष्ट्र | 33% |
तमिलनाडु | 33% |
पश्चिम बंगाल | 33% |
Effects on students and schools:
यदि यह प्रस्ताव स्वीकार किया जाता है, तो इसका असर व्यापक होगा:
- उच्च पास प्रतिशत: अधिक छात्र PUC (प्री-यूनिवर्सिटी कोर्स) या व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए पात्र होंगे।
- कम तनाव: छात्रों पर परीक्षा का दबाव कम होगा, जिससे वे बेहतर तरीके से पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।
- शिक्षण पद्धति में बदलाव: शिक्षक रटने की बजाय अवधारणाओं को समझाने पर जोर देंगे।
हालांकि, कुछ शिक्षकों और विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि इससे शैक्षणिक गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है।
Role of KSEAB:
यह प्रस्ताव कर्नाटक स्कूल परीक्षा और मूल्यांकन बोर्ड (KSEAB) द्वारा समीक्षा के अधीन है। अंतिम निर्णय सरकार और बोर्ड द्वारा लिया जाएगा।
If the offer is accepted:
- पासिंग मार्क्स आधिकारिक तौर पर घटकर 33% हो जाएंगे।
- 2025 की SSLC परीक्षाओं में शामिल होने वाले छात्र इसका लाभ उठा सकेंगे।
If the proposal is rejected:
- पासिंग मार्क्स 35% ही रहेंगे।
- छात्र वर्तमान नियमों के अनुसार तैयारी जारी रखेंगे।
Advantages and Disadvantages:
Potential advantages:
- छात्रों का मानसिक तनाव कम होगा।
- ड्रॉपआउट दर घटेगी।
- देशभर में एक समान मानदंड स्थापित होंगे।
Possible disadvantages:
- शैक्षणिक मानकों में गिरावट की आशंका।
- उच्च शिक्षा में प्रतिस्पर्धा कम हो सकती है।
- शिक्षकों द्वारा उच्च प्रदर्शन की अपेक्षा कमजोर हो सकती है।
The path of the future:
यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस प्रस्ताव पर क्या निर्णय लेती है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और KSEAB इस विषय पर सभी हितधारकों से चर्चा कर अंतिम फैसला लेंगे। छात्रों और अभिभावकों को उम्मीद है कि यह बदलाव शिक्षा प्रणाली को अधिक समावेशी और तनावमुक्त बनाएगा। क्या यह कदम छात्रों के लिए राहत लेकर आएगा, या शैक्षणिक गुणवत्ता पर असर डालेगा? इसका जवाब आने वाले समय में मिलेगा।